मेक इन इंडिया भारत सरकार द्वारा की गई पहल थी और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 25 सितंबर 2014 को शुरू की गई थी। जैसा प्रतीक चिन्ह संकेत करता है, यह सरकार द्वारा लिया गया एक उद्देश्य के साथ ‘लायन स्टेप’है: जिससे तेजी से बढ़ते हुए युवा कर्मचारियों की संख्या का उपयोग करना, घरेलू निर्माण उद्योग को बढ़ावा देना और विदेशी निवेशकों को भारत की अर्थव्यवस्था में निवेश करने के लिए आकर्षित करना था। इस कार्यक्रम के माध्यम से दुनिया भर के बड़े उत्पादन गृह द्वारा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण का वैश्विक निवेश लाना था।
मेक इन इंडिया भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए फायदे और विकल्पो का एक समूह है। इस वास्तविकता के कारण, दुनियाभर के संगठनोंने मेक इन इंडिया उद्यम में एक बड़ी दिलचस्पी दिखाई और प्रभावी रूप से सफल हुए, भारत को इन सब संगठनों को केंद्र बिंदु बनाकर अति प्रगतिशील राष्ट्रों पर छाया डालना था | कार्यक्रम को मुख्य रूप से मौजूदा प्रतिभा का उपयोग करना और अधिक रोजगार के अवसरों का निर्माण करके राष्ट्र की आर्थिक वृद्धि के लिए लक्षित किया गया था | प्रमुख सहयोग उन उद्यमियों और निगमों के साथ लिया गया, जो राष्ट्र में बड़े पैमाने पर योगदान करते हैं जैसे मुकेश अंबानी (रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन), अजीम प्रेमजी (विप्रो के चेयरमैन), आदि। मेक इन इंडिया पहल के तहत, सरकार का लक्ष्य 2025 तक देश के जीडीपी में निर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 25% बढ़ाना है।
मेक इन इंडिया कार्यक्रम का मुख्य फोकस 25 क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना है जिसमें शामिल हैं: ऑटोमोबाइल, ऑटोमोबाइल घटकों, विमान, बायोटेक्नोलॉजी, निर्माण, रसायन, रक्षा निर्माण विद्युत मशीनरी, खाद्य प्रसंस्करण, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, मीडिया और मनोरंजन, तेल और गैस, खनन, बंदरगाहों और शिपिंग, रिन्यूएबल ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स, रेलवे, सड़क और राजमार्ग, टेक्सटाइल, अंतरिक्ष, पर्यटन, थर्मल पावर एवं आतिथ्य और कल्याण।
इस पहल का प्रमुख अभियान सूक्ष्म व्यापार को लाभान्वित करना था, जैसे, युवाओं द्वारा विकसित स्टार्टअप | इन स्टार्ट-अप्स ने भारत को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
चलिए देखते हैं कि मेक इन इंडिया छोटे उद्यमी या एकमात्र प्रोपराइटर या स्टार्टअपसंस्थापकों के लिए कितना फायदेमंद रहा है।
- यह आत्मनिर्भरता लाया है:
देश में उन्नति और उत्पादन की बेहतर गति के साथ, उत्पाद निर्माता की आत्मनिर्भरता में वृद्धि हुई है। इस तरह के रचनात्मक उत्पादों की मांग में भी अचानक वृद्धि हुई है।
- आयात में कमी:
देसी उत्पादों का अच्छी गुणवत्ता के साथ उत्पादन, जल्द ही विदेशी उत्पादों का स्थान लेगा। यह निश्चित रूप से विदेशी आयात को कम करेगा और जल्द ही भारतीय उत्पादों का ब्रांड मूल्य बढ़ेगा।
- आकर्षक निर्माण:
यूनिट और सेवाओं की मात्रा के विस्तार से छोटे और सूक्ष्म व्यापार का आकर्षक निर्माण हुआ है। इसने विभिन्न मशीनों और उपकरणों की समग्र निर्माण क़ीमत में बदलाव आया है।
- योग्यता विकास:
योग्यता विकास हमेशा फायदेमंद रहा है। इससे कर्मचारियों में आत्म सुधार होता है, जो संगठनात्मक विकास के लिए फायदेमंद है। इस मेक इन इंडिया परियोजना का उद्देश्य सूक्ष्म व्यापार में श्रमिक वर्ग के विचार को विकसित करना है।
- रुपये के मूल्य में वृद्धि:
मेक इन इंडिया पहल से अधिक विदेशी निवेश आकर्षित होगा, विदेशी मुद्रा के मुकाबले भारतीय रुपये के मूल्य में भी वृद्धि होगी। इसने भारतीय रुपये पर विदेशी मुद्रा के वर्चस्व को कम कर दिया है। इसने अप्रत्यक्ष रूप से युवा भारतीय पीढ़ी को विदेश में रहने के बजाय देश में ही रहने के लिए प्रेरित किया है। मेक इन इंडिया उन्हें खुद के स्टार्टअपकी स्थापना करके अपने कौशल का पोषण करने में मदद करता है।
- तकनीकी उन्नत करना:
एक विकासशील राष्ट्र होने के नाते भारत को बहुत यांत्रिक सुधार की आवश्यकता है, जो राष्ट्र के विकास की राह में सबसे बड़ी बाधा है। लेकिन मेक इन इंडिया की अवधारणा के साथ, सूक्ष्म व्यापार प्रतिस्पर्धी बाजार में बने रहने के लिए अपनी तकनीक को उन्नत कर सकते हैं।
- बेहतर बुनियादी ढांचे का लाभ:
बेहतर बुनियादी ढांचे का प्रमुख लाभ व्यापार के उत्पादन को बढ़ावा देने और उत्पाद कीमत को कम करने में मदद करेगा। यह लोगों की जीवन शैली में सुधार और पर्यावरण का भी विस्तार करेगा। उदाहरण के लिए, यदि कारखाना ग्रामीण क्षेत्र में विकसित किया गया है – तो यह न केवल मजदूरों को आकर्षित करता है और रोजगार बढ़ाने में मदद करता है लेकिन यह स्कूलों, स्वास्थ्य सुविधाओं, बाजारों आदि को भी विकसित करता है। जिससे राष्ट्र के बेहतर भविष्य के लिए युवा नागरिकों को शिक्षित किया जा सके।
- युवा मानस और उनके नवीन सोच-विचारों की उपलब्धता:
भारत के युवाओं को निजीकरण और ऊपरी अधिकारी के कारण राष्ट्र में कभी भी ऐसा माहौल नहीं मिला कि वे अपने कौशल का विकास कर सकें। उन्हें संगठन के भीतर अपने विचारों को लागू करने और अपनी प्रतिभा दिखाने का कभी मौका नहीं मिलता है। यह भारत में होने वाली ब्रेन ड्रेन का प्रमुख कारण है। लेकिन मेक इन इंडिया की अवधारणा के साथ, युवाओं को स्वयं के स्टार्टअपके साथ शुरुआत करने का और उनके भीतर की प्रतिभा को खोजने का अवसर मिला है। मेक इन इंडिया ने एक तरह से राष्ट्र की युवा पीढ़ी को जकड लिया है।
- नए विचार का समर्थन:
नए विचार को प्रोत्साहित करने से कंपनियों को बाजार में प्रवेश करने और अन्य प्रतियोगियों के साथ जुड़ने के लिए एक बढ़त मिलती है, जो बदले में, बड़े अवसरों की ओर ले जाता है। बढ़ी हुई मान्यता और ब्रांड मूल्य के साथ, अधिक विचार भी मूल्यवान हो जाते हैं ।
- विश्व स्तर पर बड़े व्यापार क्षेत्र में प्रवेश करने का अवसर:
कुछ विकासशील क्षेत्र जैसे आर्किटेक्चर, टेक्सटाइल, दूरसंचार आदि निश्चित रूप से समय के साथ समृद्ध होगा, इस प्रकार, भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। MSMEs या स्टार्टअपकी स्थानीय उद्यमी, व्यापार भागीदार के साथ या वेबसाइट द्वारा निर्यात क्षेत्र में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वैश्विक बाजार में प्रवेश करने की संभावना है।
मेक इन इंडिया पहल का प्रमुख तत्व कार्यबल है। राष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में आक्रमकता देखी जा रही है। सभी स्टार्टअप व्यवसाय बेहतर विकास के साथ बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, यह अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहे हैं।
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