भारत अर्थव्यवस्था और टेक्नोलॉजी में सबसे प्रगतिशील देशों में से एक होने के बावजूद भी,हर नागरिक को एडमिनिस्ट्रेटिव सेवाएं प्रदान करते समय राष्ट्र कई चुनौतियां का सामना करता हैं।
पिछले वर्षों के दौरान, भारत सरकार ने कुछ पहल शुरू की हैं, जिसके परिणाम स्वरूप इनमें से काफी चुनौतियां पूरी हुई हैं और इसमें डिजिटाइज़ेशन का मार्ग प्रशस्त किया है।“आधार कार्ड”, बायोमेट्रिक पहचान कार्यक्रम एक तरह से भारत में डिजिटल क्रांति लाने के लिए था।
पिछले एक वर्ष में डिजिटल शब्द के साथ संयोजित शब्दों की संख्या में वृद्धि हुई है। उनमें से कुछ डिजिटल इंडिया, डिजिटलाइज़ेशन, डिजिटाइज़ेशन, डिजिटल दुनिया आदि हैं, जिनका प्रभाव न केवल हमारे दैनिक जीवन में है, बल्कि यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में भी योगदान देता है |
आइए डिजिटाइज़ेशन और डिजिटलाइज़ेशन की अवधारणा को पहले समझें, हालांकि दोनों का प्रभाव प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष रूप से डिजिटल इंडिया पहल पर है।
डिजिटाइज़ेशन – डिजिटलीकरण की क्रिया या प्रक्रिया; एनालॉग डेटा का रूपांतरण (छवियों, वीडियो और पाठ का उपयोग) डिजिटल रूप में।
डिजिटलाइज़ेशन – किसी संगठन, उद्योग, देश, आदि द्वारा डिजिटल या कंप्यूटर टेक्नोलॉजी के उपयोग को अपनाना या बढ़ाना।
हालाँकि, डिजिटलाइज़ेशन में डिजिटाइज़ेशन शामिल है। डिजिटाइज़ेशन ही डिजिटलाइज़ेशन की ओर बढ़ने का पहला कदम है।
वर्तमान सरकार ने राष्ट्र के अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए सभी डिजिटाइज़ेशन, डिजिटलाइज़ेशन और कुछ अन्य पहलों को डिजिटल इंडिया नाम प्रदान कियाहै।
इन गतिविधियों का उद्देश्य मुख्य रूप से दस्तावेज़ीकरण को कम करना है और नागरिकों को सार्वजनिक क्षेत्र की त्वरित सेवाएं प्रदान करना है। वास्तव में यह इंटरनेट क्लाउड स्पेस के उपयोग से विभिन्न दस्तावेजों का आसान ऑनलाइन संग्रहण प्रदान करेगा। इस तरह भ्रष्टाचार को कम कर सकता है।
अनजाने में ही हम कई सालों से डिजिटाइज़ेशन का हिस्सा रहे हैं; उन गतिविधियों में से कुछ ऑनलाइन रेलवे आरक्षण, ऑनलाइन हवाई टिकट या बस टिकट खरीदना या फिर क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड इत्यादि के माध्यम से ऑनलाइन भुगतान करना शामिल है।
डिजिटलाइज़ेशन – सरल शब्दों में बताया जाए : “यदि फ़ोन से भुगतान किया जा सकता है तो नकदी/कॅश ले जाने की कोई आवश्यकता नहीं है”।
वास्तव में, कुछ कारण हैं जो हमें अपने नियमित जीवन में डिजिटलाइज़ेशन का सख्ती से पालन करने के लिए राजी करते हैं। लेकिन हमें कुछ तत्वों की जरूरत है।
डिजिटाइज़ेशन की आवश्यकता क्यों है?
यह समानांतर अर्थव्यवस्था है जो राष्ट्र की मुख्य अर्थव्यवस्था को समृद्ध करती है। समानांतर अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण कारणों में से एक आधार नकदी-व्यापार पर निर्भर है,जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। यह कारण निश्चित रूप से विकासशील राष्ट्र की एक प्रमुख समस्या है।लोग सरकार के करों/टॅक्स का भुगतान करने से बचते हैं, वे बैंक खाते और अन्य व्यवसायिक पुस्तकें, जो उनकी वार्षिक आय को दर्शाती हैं- ऐसी चीजों का दस्तावेज रखने की ज़रूरत भी नहीं समजते, इसका मतलब है कि कोई कर भुगतान नहीं होगा और भ्रष्टाचार में वृद्धि होगी। लेकिन डिमॉनीटाईज़ेशन और डिजिटलाइज़ेशन जैसी पहल से ऑनलाइन कराधान/ टैक्सेशन हो चूका है।इन कार्यों से भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा और भारतीय अर्थव्यवस्था की सकारात्मक प्रगति में मदद मिल सकती है।
बैंकिंग क्षेत्रों में डिजिटलाइज़ेशन
बैंक हमारे दैनिक जीवन का एक हिस्सा हैं, हर नागरिक के पास उचित बैंक खाते और अन्य दस्तावेज होने चाहिए।डिजिटलाइज़ेशन के उपयोग में वृद्धि से बैंक – उसकी लेनदेन प्रक्रिया, ऑनलाइन भुगतान और हस्तांतरण में सुधार करके अपनी क़ीमत बचाने में सक्षम हो गए हैं। ग्राहक एटीएम के साथ-साथ क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड आदि के माध्यम से कैशलेस लेनदेन का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
इससे पहले, व्यवसाय के लिए लॉन प्राप्त करना किसी के लिए भी संभव नहीं था क्योंकि इसमें जोखिम और बहुत सारे दस्तावेज शामिल थे। लेकिन आज, ग्राहक अनुभव को बढ़ाने के लिए बैंक नवीनतम तकनीकों को अपनाने के लिए तैयार हैं।
डिजिटलाइज़ेशन को अपनाकर बैंक लाभ देने में सक्षम हुए हैं
- भारत में स्टार्टअप्स के लिए मुद्रा जैसी योजनाएं
- मोबाइल बैंकिंग
डिजिटलाइज़ेशनसेनकेवलमानवीयत्रुटियां कम हुई है, बल्कि कैशलेस लेनदेन में भी वृद्धि हुई; जिससे नकली मुद्रा के प्रसारण में कमी हुई है।2016 में हुए डिमॉनीटाईज़ेशन के बाद, कैशलेस भुगतान में जबरदस्त वृद्धि हुई है। जिससे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था अनुकूल विकास की ओर बढ़ रही है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर डिजिटलाइज़ेशन का महत्व
डिजिटलाइज़ेशन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बैंकिंग क्षेत्र के साथ, “मेक इन इंडिया” आंदोलन भीसबसे बड़ा उदाहरण है जिसने भारत के डिजिटलाइज़ेशन में योगदान दिया है। युवाओं द्वारा शुरू किए गए नए स्टार्टअप्सने न केवल नौकरी के अवसर पैदा किए हैं, बल्कि उन्हें अपना व्यवसाय बिना कैश शुरू करने का भी अवसर दिया है। इसने अप्रत्यक्ष रूप से युवा पीढ़ी को कानूनी रास्ते का अनुसरण करना कह दिया, जो पुराने जमाने से चली आ रही व्यवस्था की तुलना में काफी अच्छा है।यह युवाओं के लिए एक शिक्षा है- सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करना और भ्रष्टाचार प्रणाली का न होना।यह कार्य धीरे-धीरे होगा लेकिन निश्चित रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में मदद करेगा।
इंटरनेट कनेक्शन की वजह से, डिजिटलाइज़ेशन सेवाएं देश के नागरिकों के लिए आसानी से सुलभ हैं।डिजिटलाइज़ेशन का प्रभाव, मुख्य रूप से आयकर कार्यालयों पर देखा जा सकता है।
हमें यह देखना चाहिए कि अब इनकम टैक्स फाइलिंग और इनकम टैक्स रिटर्न कैसे सुव्यवस्थित हो गयी है; हमें अब आयकर रिटर्न प्राप्त करने के लिए आयकर अधिकारी के समक्ष खड़े होने की आवश्यकता नहीं है।
वह समय दूर नहीं जब डिजिटलाइज़ेशन भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति को पूरी तरह से बदल देगा।
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