स्मार्टफोन के इस जमाने में आज जिधर देखो वहीं नेक्स्ट जनरेशन टेलीकम्यूनिकेशन स्टैण्डर्ड -5G की स्पीड चर्चा का विषय बनी हुई है। ऐसे में आपके मन में प्रश्न उठ रहा होगा कि आखिर क्या है 5G तकनीक और यह 4G से कितनी तेज है। कहीं एक बार फिर से तो नया फोन नहीं खरीदना पड़ेगा। चलो इन सभी सवालों के जवाबों को इस आर्टिकल के जरिए जानने की कोशिश करते हैं।

आख़िर 5G है क्या?

जैसे 3G की जगह पर 4G आया, ठीक उसी तरह से 4G के स्थान पर पांचवी पीढ़ी के नेटवर्क 5G के आने की तैयारी है। 5G तकनीक एक तरह की वायरलेस फाइबर है। इससे आपको सुपर फ़ास्ट लोलेटेंसी इंटरनेट हर स्थान पर मिलेगी। 5G नेटवर्क किसी भी होम केबल इंटरनेट कनेक्शन से कहीं ज्यादा तेज़ होगी। इस तकनीक के वायरलेस होने से आपको बिना तारों के भी सुपर फ़ास्ट स्पीड में इंटरनेट मिलेगा। यह फाइबर नेटवर्क इंटरनेट को कई गुना और बेहतर बनाएगा। इसके जरिए आप एक सुपर फ़ास्ट स्पीड के साथ इंटरनेट का आनंद उठा सकते हैं। इसे आप अपने घर, ऑफिस, व्हीकल आदि में अच्छी तरह से यूज कर सकेंगे।

कितना तेज़ होगा 5G नेटवर्क

जहां 4G आपको 100 मेगाबाईट यानी 100 Mbps प्रति सेकंड की स्पीड देने में सक्षम था, वहीं 5G टेक्नोलॉजी 10 गीगाबाइट प्रति सेकंड यानी 10 Gbps की स्पीड के साथ आने वाला है। इसका मतलब है कि 4G नेटवर्क के मुकाबले 5G नेटवर्क 100 गुना ज्यादा तेज़ होगा। यह अभी तक की सबसे ज्यादा इन्टरनेट स्पीड कही जा सकती है। लो लेटेंसी से आपका लोड टाइम और रेस्पोंस काफी तेज़ हो जाता है। 5G में बेहतर स्पीड के साथसाथ लो लेटेंसी भी मिलेगी।

5G नेटवर्क कैसे करेगा काम?

5G नेटवर्क एक नए रेडियो स्पेक्ट्रम बैंड पर काम करेगा। यह5G मिलीमीटर वेव्स का इस्तेमाल करता है। इसके बाद एक फ्रीक्वेंसी को ब्रोडकास्ट करता है, जो 30 से 300 GHz पर काम करती है। इसके पहले यह 6GHz पर काम करता रहा है। यानी 4G के लिए वर्तमान में इस बैंड का इस्तेमाल किया जाता है। अभी तक इस तकनीक को सेटलाइट और राडार सिस्टम के बीच होने वाले कम्युनिकेशन में इस्तेमाल किया जाता था। इस प्रकार से यह हाई फ्रीक्वेंसी बैंड पर काम करेगा। परेशानी यह है कि इस फ्रीक्वेंसी बैंड में वेव लेंथ काफी छोटे होने के कारण रूक सकता है।

बढ़िया कवरेज व इसकी सफलता के लिए कई ट्रांसमीटर लगाने होंगे। हर 250 मीटर पर एक स्मॉलर मिनिएचर आधारित स्टेशन स्थापित होने चाहिए। इससे यह तकनीक काफी खर्चीली हो जाती है।

5G बेस स्टेशन मल्टीपल इनपुट और मल्टीपल आउटपुट (Massive MIMO) का भी इस्तेमाल करती है। इसके लिए आपको एक होम वायरलेस राऊटर की जरूरत होगी जो MIMO तकनीक पर काम करेगा। 5g तकनीक बहुत से एंटेना का उपयोग करेगी। यह अलगअलग डिवाइस के बीच आसानी से समन्वय बैठाकर काम करने में काबिल है। इसके जरिये एक ही समय में किसी बेस स्टेशन पर बहुत से एंटेनों का इस्तेमाल किया जा सकता है। कई सारी चीजों के तालमेल से काम करने की वजह से यह नेटवर्क काफी स्ट्रांग बन जाता है।

भारत में 5 जी मोबाइल सेवा का भविष्य

जानकारों के मुताबिक, 5G मोबाइल नेटवर्क भारत में डिजिटल क्रांति लाएगा। 5G सेल्युलर टेक्नोलॉजी आपको लगातार कवरेज उपलब्ध कराएगी। इसमें कहीं भी किसी तरह की रुकावट नहीं आएगी। इसमें आपको फास्ट इंटरनेट की सुविधा। साथ में यह कई LOT डिवाइज को भी कनेक्ट करेगी। साल 2018 में डाटा यूसेज 848 मिलयन रहा, जो 5G के आने से 100 बिलियन GB प्रतिवर्ष रहने का अनुमान है। डाटा स्पीड में भी इससे काफी फर्क पड़ेगा। विशेषज्ञों की भविष्यवाणी के मुताबिक, 4G कनेक्शन द्वारा 8 गीगाबाइट्स प्रति महीने से करीब 3 गुना अधिक रहेगा।

लेकिन, कई सारे ट्रांसमीटरों को लगाना भारत जैसे देश के लिए पहले के मुकाबले काफी खर्चीला साबित हो सकता है। इसके लिए बड़े निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता होगी। मार्केट के काफी प्रतिस्पर्धा होने से टेलिकॉम कंपनियां अपना नफानुकसान सोचकर ही इसमें कदम रखेंगी। एक गरीब आदमी जो पहले से ही रोजीरोटी के लिए संघर्ष कर रहा है, वह इस एक्स्ट्रा बोझ को किस हद तक संभाल पाएगा, यह भी एक प्रश्न है।

खैर, इतना तो तय है कि साल 2020 तक दुनियाभर के वे सभी स्मार्टफोंस और डिवाइस जिन पर इंटरनेट काम करता है, वे आपको 5G से लैस मिलेंगे। इंटरनेट की स्पीड कई गुना बढ़ जाने से कामकाज के परफॉरमेंस पर भी काफी हद तक फर्क पड़ेगा।

 

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